वन्य जीवन संरक्षण की नई इबारत लिखता मध्यप्रदेश
भोपाल। मध्यप्रदेश की पुण्यभूमि पर पुनः जीवंत होते वन्य जीवन का दृश्य हृदय को आल्हादित करने वाला है। एक समय समूचे एशिया से विलुप्त हो चुके चीते अब इस धरती पर पुनः अपनी द्रुतगति से अठखेलियाँ कर रहे हैं और अपनी वंश बेल को भी विस्तार दे रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अवसर पर गर्वपूर्वक कहा, "मध्यप्रदेश की धरती, जो 'जीव-चराचर जंतु समाना' की अवधारणा को आत्मसात किए हुए है, आज उन प्राणियों का पुनः आश्रय स्थल बन रही है जो कभी विलुप्ति के कगार पर थे। यह प्रदेश की जैव-विविधता को संजोने की हमारी प्रतिबद्धता का जीवंत प्रमाण है।"
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता आशा, धीरा और आशा के तीन शावकों को बाड़े से मुक्त कर स्वच्छंद विचरण के लिए जंगल में छोड़ा। उन्होंने कहा कि चीतों की पुनर्स्थापना से कूनो राष्ट्रीय उद्यान को पर्यटन के मानचित्र पर एक विशेष पहचान मिलेगी। उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले दो चीतों को खुले जंगल में छोड़ा था, जिसने चीतों की पुनर्वास प्रक्रिया को नई दिशा दी। मुख्यमंत्री ने इस ऐतिहासिक क्षण को अपने लिए सौभाग्य की संज्ञा दी और प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा, "आज पाँच चीतों को जंगल की स्वतंत्रता सौंपना मेरे लिए हर्ष का विषय है।"
पर्यटन और संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वन्य-जीव संरक्षण एवं कूनो नेशनल पार्क की जैव-विविधता को संरक्षित करने में संलग्न समर्पित कर्मियों के प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ईको-टूरिज्म को प्रोत्साहित करेगी, जिससे न केवल वन्य जीवन संरक्षण को मजबूती मिलेगी, बल्कि स्थानीय समुदायों को रोजगार के नए अवसर भी सुलभ होंगे।
उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य कूनो राष्ट्रीय उद्यान को चीतों की पुनर्स्थापना हेतु एक आदर्श वन्य-जीव अभयारण्य के रूप में विकसित करना है। इसके लिए आवश्यक संसाधनों एवं व्यवस्थाओं को सुदृढ़ किया जाएगा।
चीतों की बढ़ती संख्या: संरक्षण प्रयासों का सकारात्मक संकेत
कूनो नेशनल पार्क से अब तक कुल 7 चीतों को जंगल में विचरण के लिए छोड़ा जा चुका है। हाल ही में मादा चीता वीरा के दो नए शावकों के जुड़ने से पार्क में चीतों की कुल संख्या 26 हो गई है। इनकी सुरक्षा एवं निगरानी सुनिश्चित करने हेतु विशेष दलों का गठन किया गया है, जो इन वन्य जीवों की गतिविधियों पर निरंतर नजर रखेंगे।
पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने वाली पहल
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव को ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा औषधीय गुणों से युक्त प्राकृतिक राखी भेंट की गई। यह पहल न केवल जैविक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण का भी प्रतीक है।
राज्य प्रशासन और वन विभाग की भूमिका
इस ऐतिहासिक अवसर पर ग्वालियर-चंबल संभाग के कमिश्नर श्री मनोज खत्री, चंबल आई.जी. श्री सुशांत सक्सेना, श्योपुर कलेक्टर श्री अर्पित वर्मा, सीसीएफ श्री उत्तम शर्मा और डीएफओ कूनो श्री आर. थिरुकुराल सहित प्रशासनिक एवं वन विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
मध्यप्रदेश की धरा पर विलुप्तप्राय प्राणियों का पुनर्वास न केवल पर्यावरण संरक्षण का अभिनव उदाहरण है, बल्कि वन्य जीवन, पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी एक नई दिशा देने वाला कदम है।
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