जबलपुर। ग्रामीण इलाकों में जहां एक ओर खेतों में लहलहाती फसलें किसान की मेहनत का प्रतीक बनी हुई हैं, वहीं दूसरी ओर आवारा पशुओं के कारण यह मेहनत बर्बाद हो रही है। जबलपुर और उसके आसपास के गांवों में किसान इन छुट्टा मवेशियों की बढ़ती संख्या से त्रस्त हो चुके हैं। दूध न देने वाले, बूढ़े और बीमार गाय-बैलों को लोगों द्वारा खुला छोड़ दिया गया है, जिससे ये पशु खेतों में घुसकर फसलों को नष्ट कर रहे हैं।
सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण बना समस्या
हर ग्राम पंचायत में पशुओं के लिए चरनौती की जमीन निर्धारित है, जो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज भी है। यह जमीन इन मवेशियों के चारे के लिए आरक्षित है, लेकिन भूमाफियाओं ने इन जमीनों पर अवैध कब्जा कर लिया है। इस कारण आवारा पशु खुले में घूमने को मजबूर हैं और किसानों की फसलों को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
सड़क हादसों में बढ़ोतरी
यह समस्या सिर्फ किसानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आवारा पशु सड़कों और राजमार्गों पर भी खतरा बन गए हैं। ये पशु अक्सर सड़कों पर बैठ जाते हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। आए दिन समाचार पत्रों में इनसे जुड़ी दुर्घटनाओं की खबरें आती रहती हैं, जिनमें कई लोगों की जान तक चली जाती है।
संयुक्त किसान मोर्चा की मांग
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रशासन से मांग की है कि आवारा पशुओं के लिए समुचित व्यवस्था की जाए। संगठन ने सुझाव दिया है कि चरनौती की जमीन को भूमाफियाओं के कब्जे से मुक्त कराया जाए और यदि किसी गांव में ऐसी जमीन उपलब्ध नहीं है तो शासकीय भूमि को चिन्हित कर वहां गौशालाओं का निर्माण कराया जाए।
यदि जल्द से जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो किसान मोर्चा बड़े आंदोलन की चेतावनी दे चुका है। किसान नेताओं में रामरतन यादव, एड. सुधीर शर्मा, सरमन रजक, एड. राजेंद्र गुप्ता, बैजनाथ कुशवाहा, विवेक अवस्थी, पूर्व विधायक नन्हे लाल धुर्वे, राजकुमार सिंहा समेत कई अन्य प्रमुख नेताओं ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
यदि जिला प्रशासन इस मांग को गंभीरता से नहीं लेता तो किसान मोर्चा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने से भी पीछे नहीं हटेगा।
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