अभी तक तो देश में नैतिकता की बलि जिस तरह एक खास संगठन और उससे जुड़े अनुषांगिक संगठनों ने चढ़ाई है, उससे देश में निरंतर अनैतिकता का वातावरण फल फूल रहा है। राजनीति के क्षेत्र में इसी संगठन की पैदाइश भाजपा ने जिस बलात्कारियों का सम्मान किया। आसाराम और राम-रहीम जैसे कुकर्मियों का अपने हित के लिए इस्तेमाल किया। हाल ही में पैरोल पर ऐसे गंदे शख्स ने प्रवचन दिए। यह ताकत उसे कहां से मिली पता करने की ज़रुरत नहीं है। गुजरात कांड के मशहूर बलात्कारियो का सम्मान और कुलदीप सेंगर जैसे कई लोग जिन पर चारित्रिक दाग लगे हैं, वे सब शान से सुख भोग रहे हैं। उत्तर प्रदेश में ऐसे महान लोगों को संरक्षण भी प्राप्त है।
याद आती है उन अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पहलवान खिलाड़ियों की, जिनकी छेड़छाड़ करने वाले बृजभूषण सिंह भाजपा के दुलारे बने रहे। ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जो अमानवीय और समाज-विरोधी काम कर गाली-गलौज में पारंगत इस पार्टी के सिरमौर बने हुए हैं। मसलन, अनुराग ठाकुर, विधूड़ी और अब दिल्ली की मुख्यमंत्री जैसे कई लोग इस श्रंखला में आते हैं। हालांकि इसकी शुरुआत माननीय मोदीजी ने बारबाला, कांग्रेस की विधवा और पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड और दीदी ओ दीदी जैसे अपशब्दों से की है।
एक वक्त था जब राजनीति में आए लोग आदर्श हुआ करते थे। उनका सम्मान था। राजनीति के बाद पहले देश में विश्वविद्यालयों का भरपूर सम्मान था क्योंकि शवहीं से देश की युवा पीढ़ी मार्गदर्शन लेती थी। किंतु अब तो ये केन्द्र राजनीति के अखाड़े बन गए हैं और वहां चुन चुन ऐसे लोगों को भेजा जा रहा है जो संघ की मंशानुरूप काम कर सकते हैं। पिछले वर्षों में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति महोदया को सुबह की अज़ान से आपत्ति हुई थी। उनका कहना था कि उनकी नींद में खलल होता है। भाजपा सरकार ने तत्काल महोदया को चैन की नींद सोने माईक की दिशा बदलवाई और वाल्यूम कम कराया गया। ऐसा पहले कभी कहीं नहीं हुआ था। किसी को कभी भी अजान-मंदिर की घंटियों और चर्च के घंटों से दिक्कत हुई। धीरे-धीरे अजान का यह दंश देश भर में नफ़रती मुद्दा के रुप में फैला और सरकार ने वही किया जो वह चाहती थी।
ताज़ा मामला यह सामने आया है जिसमें पिछले साल गांधी जी की पुण्यतिथि पर उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा करने वाली राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान ( NIT) कालीकट की प्रोफेसर डॉ. ए. शैजा की संस्थान के डीन के रूप में नियुक्ति की गई है। डॉ. शैजा वर्तमान में NIT कालीकट में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर हैं। उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया, ‘भारत को बचाने के लिए गोडसे पर गर्व है।’ डॉ. शैजा ने लिखा था, ‘हिंदू महासभा कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे, भारत में कई लोगों के नायक हैं।’
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान NIT कालीकट के डायरेक्टर ने प्रो. शैजा को डीन बनाने का आदेश जब से जारी हुआ है, इसी पर हंगामा शुरू हो गया है। दरअसल डॉ. शैजा ने गोडसे की तारीफ की थी, इसी मुद्दे लेकर वामपंथी छात्र संगठन और युवा कांग्रेस उन पर निशाना साध रही है। डॉ. शैजा ने महात्मा गांधी के शहीद दिवस पर 2024 में एक पोस्ट पर कमेंट किया था कि ‘हिंदू महासभा कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे, भारत में कई लोगों के नायक, बाद में उन्होंने इस कमेंट को डिलीट कर लिया था, लेकिन तब तक ये वायरल हो चुका था।
इस मामले में पिछले साल फरवरी में शैजा को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें जमानत दे दी गई थी। उनके खिलाफ डीवाईएफआई और युवा कांग्रेस जैसे संगठनों ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि शैजा ने कथित टिप्पणी में महात्मा गांधी की हत्या करने और इस तरह भारत को बचाने के लिए गोडसे पर गर्व व्यक्त किया था। अब उन्हें डीन के तौर पर नियुक्त किए जाने का विरोध राजनीतिक दल कर रहे हैं। कांग्रेस समेत सीपीआई की युवा शाखा डीवाईएाफआई ने भी एनआईटी तक विरोध मार्च निकालने का ऐलान कर दिया है। वामपंथी और कांग्रेस संगठन की मांग है कि उन्हें संस्थान से बर्खास्त कर दिया जाए।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी संविधान को चुनौती दे रही है, उनके नेता गांधी जी को नहीं गोडसे को महान बताते हैं। आपको याद होगा 2014में भाजपा सरकार आते ही गोडसे का मंदिर बन गया था। अब आप ही बताइए ये सब क्यों हुआ और ऐसे लोगों को ताकत कहां से मिल रही है।?
यदि ऐसा ही चलता रहा तो देश की सभ्यता संस्कृति का विनाश सुनिश्चित है। तब्दीली शिक्षा संस्थानों में युवाओं के सशक्त विरोध से ही संभव है। आज इसकी पहल, पहली ज़रूरत बन चुकी है। गोडसे को आईकान बनाने की यह एक भी एक साज़िश ही है। क्योंकि डा शैजा सफाई देते हुए कह रही हैं कि उन्होंने गोडसे के महत्व के बारे में पुस्तक में पढ़ा था।उस पुस्तक की तलाश ज़रुरी है। उस किताब को प्रतिबंधित भी किया जाए। वर्तमान शासन में यह मुनासिब नहीं लगता किंतु इसे देशवासियों की चिंताओं में शामिल किया जा सकता है।
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