नई दिल्ली। आस्था और श्रद्धा के महापर्व महाकुंभ के दिव्य और भव्य आयोजन में विभिन्न सरकारी एजेंसियों एवं विभागों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इस पूरी व्यवस्थागत प्रक्रिया में रेलवे की भूमिका निस्संदेह सबसे प्रमुख रही। इस विशाल आयोजन के दौरान रेलवे ने देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं को प्रयागराज तक पहुंचाने में अभूतपूर्व भूमिका अदा की। इस दौरान रेलवे न केवल तीर्थयात्रियों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा, बल्कि ट्रेनों के संचालन में भी कई नए कीर्तिमान स्थापित किए।
रेलवे ने महाकुंभ को दिया विशेष सहयोग
महाकुंभ का यह आयोजन अपने समापन की ओर बढ़ रहा है, लेकिन बीते डेढ़ महीने में अनुमानित रूप से 12 से 15 करोड़ श्रद्धालुओं ने अपनी यात्रा के लिए ट्रेनों का उपयोग किया। इसका अर्थ यह है कि कुल श्रद्धालुओं में से लगभग 25% तीर्थयात्री प्रयागराज या उसके आसपास के प्रमुख शहरों तक ट्रेनों से पहुंचे। इस बार कुंभ को दिव्य और भव्य बनाने के लिए रेलवे ने अपनी भूमिका को और सशक्त बनाया।
भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में जहां पहले से ही रेलवे पर भारी दबाव रहता है, वहां महाकुंभ जैसे आयोजन को देखते हुए रेलवे ने पहले से ही विस्तृत रणनीति तैयार कर ली थी। तीर्थयात्रियों की अनुमानित संख्या के आधार पर विशेष ट्रेनों का संचालन सुनिश्चित किया गया और भीड़ प्रबंधन के लिए आपात योजनाएं भी बनाई गईं। सामान्य दिनों में ट्रेनों की भीड़ को देखते हुए रेलवे ने विशेष इंतजाम किए, ताकि किसी एक रूट, ट्रेन या स्टेशन पर अत्यधिक दबाव न पड़े।
महाकुंभ के लिए रेलवे का विशेष प्रबंधन
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज तक श्रद्धालुओं को लाने के लिए कुल 13,667 ट्रेनों का संचालन किया गया। इनमें 3,468 विशेष ट्रेनें कुंभ क्षेत्र से प्रारंभ हुईं, जबकि 2,008 ट्रेनों ने बाहरी राज्यों से तीर्थयात्रियों को यहां तक पहुंचाया। शेष 8,211 ट्रेनें नियमित रूप से संचालित की गईं।
प्रयागराज में स्थित नौ प्रमुख स्टेशनों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं। अकेले प्रयागराज जंक्शन पर 5,000 से अधिक ट्रेनों का संचालन हुआ, जिससे लाखों श्रद्धालु लाभान्वित हुए।
राज्यवार विशेष ट्रेनों का योगदान
महाकुंभ के दौरान अलग-अलग राज्यों से तीर्थयात्रियों के लिए चलाई गई ट्रेनों का वितरण इस प्रकार रहा –
- उत्तर प्रदेश – 6,436 ट्रेनें
- दिल्ली – 1,343 ट्रेनें
- बिहार – 1,197 ट्रेनें
- महाराष्ट्र – 740 ट्रेनें
- पश्चिम बंगाल – 560 ट्रेनें
- मध्य प्रदेश – 400 ट्रेनें
- गुजरात – 310 ट्रेनें
- राजस्थान – 250 ट्रेनें
- असम – 180 ट्रेनें
- छत्तीसगढ़ – 101 ट्रेनें
रेलवे का ऐतिहासिक योगदान
महाकुंभ जैसे विराट धार्मिक आयोजन के दौरान रेलवे ने देशभर से श्रद्धालुओं की यात्रा को सहज और सुगम बनाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। विशेष ट्रेनों की व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण की रणनीति और आपातकालीन प्रबंधन जैसी पहल ने सुनिश्चित किया कि कोई भी यात्री असुविधा का शिकार न हो। रेलवे की यह उपलब्धि न केवल एक रिकॉर्ड के रूप में दर्ज हुई है, बल्कि यह भविष्य में होने वाले ऐसे भव्य आयोजनों के लिए एक आदर्श मिसाल भी बनेगी।
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