घटनास्थल पर पहुंचना अत्यंत कठिन था क्योंकि वहां तक किसी भी वाहन की पहुंच नहीं थी। सुरक्षा बलों को पहाड़ी मार्गों से पैदल चलकर घटनास्थल पर पहुंचना पड़ा। एक चश्मदीद महिला, पल्लवी, जो कर्नाटक से अपने पति और बेटे के साथ छुट्टियां मनाने आई थीं, ने बताया कि उनके पति मंजूनाथ की हत्या उनके सामने की गई। उन्होंने कहा, "हम पर तीन-चार लोगों ने हमला किया... मैंने कहा, 'मुझे भी मार दो', तो उनमें से एक ने कहा, 'नहीं, जाओ और मोदी को बताओ।'"
यह हमला 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के बाद से सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है। मारे गए लोगों में दो विदेशी नागरिक और दो स्थानीय निवासी भी शामिल हैं।
सरकारी प्रतिक्रिया और सुरक्षा कार्रवाई
घटना की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तुरंत दिल्ली से कश्मीर पहुंचकर उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो वर्तमान में सऊदी अरब की यात्रा पर हैं, को इस हमले की जानकारी दी गई। दोनों नेताओं ने आतंकियों को बख्शे न जाने की बात दोहराई और स्पष्ट किया कि इस घृणित अपराध के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर कहा, “इस जघन्य कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। आतंकवाद के विरुद्ध हमारी लड़ाई और सशक्त होगी।”
प्रदेश स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि सुरक्षाबलों द्वारा व्यापक तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। केंद्र शासित प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
पृष्ठभूमि में पुलवामा की पुनरावृत्ति की छाया
2019 के पुलवामा हमले की भयावह यादें एक बार फिर ताजा हो गई हैं, जब जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने सीआरपीएफ बस पर आत्मघाती हमला कर 40 जवानों की जान ले ली थी। उसके बाद भारत ने बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी, जिसने भारत-पाक संबंधों को युद्ध जैसे हालात तक पहुँचा दिया था।
إرسال تعليق