रेल जबलपुर मंडल में स्टेशन यार्ड और रनिंग लूप लाइनों का उन्नयन

जबलपुर। जबलपुर मंडल के रेल परिसरों में अधोसंरचना के कायापलट हेतु अभियंताओं की अडिग साधना रंग ला रही है। यात्री हितों एवं संरक्षा के अदृश्य स्तंभों को दृढ़ता प्रदान करने की दिशा में यह पहलकदमी न केवल एक यांत्रिक सुधार है, बल्कि यह संपूर्ण रेल संचालन की आत्मा को नया स्वर दे रही है। इस नवाचार की धुरी, वे रनिंग लूप लाइंस हैं जो उच्च आवागमन क्षेत्रों में ट्रेन आवागमन को अविरल बनाए रखने हेतु अनिवार्य कड़ी के रूप में काम करती हैं।



इस व्यापक अभियान का मर्म है—गति, सुरक्षा व संरचना के वैश्विक मानकों की कसौटी पर खरा उतरना। ये यात्री लूप लाइंस, जो ट्रेनों के पारगमन, ओवरटेकिंग और आवागमन नियंत्रण में निर्णायक भूमिका निभाती हैं, अब नए स्वरूप में यात्रियों को समयबद्ध और संतोषजनक अनुभव प्रदान करने हेतु परिष्कृत की जा रही हैं।

गत दो वर्षों में मंडल द्वारा 50 किमी लूप एवं यार्ड लाइनों को नवजीवन प्रदान करने हेतु रेल प्रतिस्थापन तथा 45 किमी में स्लीपर प्रतिस्थापन की कार्यवाही को मूर्त रूप दिया गया है। इसे एक आंदोलन के रूप में अंगीकार करते हुए, जबलपुर स्टेशन पर प्लेटफार्म क्रमांक 2 के जर्जर वॉशेबल एप्रन का पूर्ण पुनर्निर्माण कर संरक्षा मानकों को और सुदृढ़ किया गया है।

उल्लेखनीय है कि 498 टर्नआउट की डीप स्क्रीनिंग पूर्ण कर ट्रैक की सहनशीलता, जल निकासी व्यवस्था एवं यात्री गाड़ियों की यात्रा गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार सुनिश्चित किया गया है। यार्ड और लूप लाइनों की नियमित निगरानी की जा रही है, ताकि प्रत्येक विचलन का समय रहते निराकरण सुनिश्चित किया जा सके।

आगामी रणनीति

सुरक्षा के समवेत स्वर को और बल देने हेतु इस वर्ष 88 किमी रेल प्रतिस्थापन और 70 किमी स्लीपर प्रतिस्थापन का लक्ष्य रखा गया है। जबलपुर यार्ड के इटारसी छोर पर पूर्ण रीमॉडलिंग की योजना के अंतर्गत—मुख्य पटरियों पर टर्नआउट का 8.5 से 1 के अनुपात से 12 से 1 में रूपांतरण, क्रॉसओवर का स्थानांतरण, शंटिंग नेक का विस्तार, स्टील गर्डर पुल का पीएससी स्लैब से प्रतिस्थापन, और टीआरडी एवं एसएंडटी विभागों के सहायक कार्य सम्मिलित हैं।

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