भोपाल। भारतीय संविधान के वास्तुकार और सामाजिक समता के पुरोधा भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि बाबा साहेब का जीवन संघर्ष और सामाजिक न्याय के लिए किए गए उनके कार्य, भारत के लोकतांत्रिक आधार की नींव हैं। डॉ. अंबेडकर ने उस कालखंड में विचारों का जो क्रांतिकारी स्वरूप प्रस्तुत किया, उसने न केवल हजार वर्षों की सामाजिक जड़ता को तोड़ा, बल्कि भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।
मुख्यमंत्री ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में कहा कि बाबा साहेब ने अपने जीवन को सामाजिक उत्थान की लौ में जलाया। उन्होंने हर उस व्यक्ति के लिए राह बनाई जो सामाजिक असमानताओं से जूझ रहा था। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा तैयार किया गया संविधान, सामाजिक सशक्तिकरण का जीवंत दस्तावेज है। शिक्षा के प्रति उनकी अगाध निष्ठा और आत्मबलिदान ने देश के लिए अमूल्य प्रेरणा प्रदान की।
डॉ. यादव ने कहा कि डॉ. अंबेडकर को भारत की भावी चुनौतियों का पूर्वाभास था, और उन्होंने अपने संविधान के माध्यम से समाज के हाशिए पर खड़े वर्गों को केंद्र में लाने का जो प्रयास किया, वह न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि भविष्य के लिए भी दिशादर्शक है। उन्होंने अनुसूचित जातियों और जनजातियों को आरक्षण के माध्यम से शिक्षा, रोजगार और सामाजिक प्रतिष्ठा दिलाने की जो सोच रखी, वह आज भी देश की सामूहिक चेतना में जीवित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज अनुसूचित जातियों में साक्षरता दर, जो एक समय मात्र 1.5% थी, वह अब 59% तक पहुँच गई है। यह बाबा साहेब की नीतियों और दूरदृष्टि का ही प्रतिफल है। उन्होंने यह भी बताया कि जब-जब सामाजिक न्याय की बात होगी, डॉ. अंबेडकर की प्रासंगिकता और भी बढ़ेगी।
डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डॉ. अंबेडकर से जुड़े पांच पवित्र स्थलों को ‘पंचतीर्थ’ का दर्जा दिए जाने की सराहना की। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के महू में बाबा साहेब की जन्मस्थली को एक भव्य तीर्थ के रूप में विकसित करने में पूर्व मुख्यमंत्रियों स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा और श्री शिवराज सिंह चौहान की विशेष भूमिका रही है।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि महू में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए राज्य सरकार द्वारा 3.5 एकड़ भूमि पर धर्मशाला निर्माण का कार्य शुरू किया गया है। इसके साथ ही अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'डॉ. अंबेडकर कामधेनु योजना' लागू की गई है, जिसके तहत डेयरी व्यवसाय में 30 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।
डॉ. यादव ने गर्व से कहा कि महू को दिल्ली से जोड़ने वाली नई रेलगाड़ी ने क्षेत्र की जनता को एक नई सौगात दी है, जिससे कोटा, इंदौर, उज्जैन और देवास जैसे शहरों को भी लाभ मिलेगा। साथ ही लंदन में डॉ. अंबेडकर की शिक्षा-स्थली पर भव्य स्मारक निर्माण का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि यह स्मारक प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से संभव हुआ है, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बाबा साहेब के योगदान को मान्यता दिलाई।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बाबा साहेब धारा 370 के विरोधी थे, और प्रधानमंत्री मोदी ने इस धारा को हटाकर जम्मू-कश्मीर को उसका अधिकार लौटाया। यह कदम भी बाबा साहेब की सोच के अनुरूप था।
इस मौके पर विचारक श्री मुकुल कानिटकर ने डॉ. अंबेडकर को एक विचार क्रांति का अग्रदूत बताया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1891 में महू से शुरू हुई यह क्रांति एक ऐसा सूर्य लेकर आई जिसने पूरे समाज को आलोकित किया। उन्होंने यह भी कहा कि बाबा साहेब कोलंबिया यूनिवर्सिटी से केवल 27 वर्ष की आयु में इकोनॉमिक्स में डिग्री प्राप्त करने वाले पहले भारतीय थे। वहाँ आज भी एकमात्र मूर्ति डॉ. अंबेडकर की ही लगी है। उन्होंने बताया कि डॉ. अंबेडकर ने पीएचडी, एमए सहित कई उपाधियाँ अर्जित कर विश्व में सर्वाधिक शिक्षित व्यक्तियों में अपना स्थान बनाया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ‘संवैधानिक सामाजिक न्याय : एक चिंतन’ पुस्तक का विमोचन भी किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर, सांसद श्रीमती कविता पाटीदार, पूर्व मंत्री व विधायक सुश्री ऊषा ठाकुर सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।
इस आयोजन ने न केवल डॉ. अंबेडकर के कार्यों की पुनर्पुष्टि की, बल्कि यह संदेश भी दिया कि भारत की लोकतांत्रिक यात्रा उनके विचारों की गूंज से ही सजीव है।
إرسال تعليق