इस नवाचार के पीछे आरबीआई का उद्देश्य मौजूदा दिशानिर्देशों की पुनर्समीक्षा करते हुए उन्हें यथार्थपरक और प्रणालीबद्ध रूप में ढालना है। नवीन दिशा-निर्देशों में यह प्रावधान भी शामिल है कि दस वर्ष या उससे अधिक आयु के नाबालिग, यदि बौद्धिक और व्यवहारिक रूप से सक्षम हों, तो वे बैंक की जोखिम मूल्यांकन नीतियों के अंतर्गत स्वतंत्र रूप से खाता खोलने और संचालन करने के योग्य माने जाएंगे।
आरबीआई ने इस संज्ञान में भी स्पष्टता लाई है कि जैसे ही खाताधारक वयस्कता की देहलीज़ पर पहुंचेगा, बैंक को उसके ताज़ा हस्ताक्षर और संचालन निर्देशों की पुनः पुष्टि करनी होगी। यदि खाता अभिभावक के नियंत्रण में संचालित किया गया हो, तो उसकी शेष राशि का सत्यापन आवश्यक होगा।
इसके अतिरिक्त, बैंक अपने विवेक और आंतरिक नीतियों के अनुरूप, नाबालिग खाताधारकों को एटीएम, डेबिट कार्ड, चेकबुक तथा इंटरनेट बैंकिंग जैसी सेवाएं देने के लिए स्वतंत्र होंगे। हालांकि, इन खातों में केवल शुद्ध जमा की अनुमति होगी और किसी भी प्रकार की ओवरड्राफ्ट की सुविधा निषिद्ध रहेगी।
आरबीआई ने बैंकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि खाता खोलते समय ग्राहक की व्यापक जांच-पड़ताल (Due Diligence) आवश्यक होगी, साथ ही केवाईसी (अपने ग्राहक को जानिए) मानकों का पालन हर हाल में सुनिश्चित किया जाए। साथ ही यह भी परामर्श दिया गया है कि सभी बैंक 01 जुलाई 2025 तक इन नवीन दिशानिर्देशों के अनुरूप अपनी आंतरिक नीतियों में संशोधन कर लें, जब तक वर्तमान नीतियों को लागू समझा जाएगा।
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