नई दिल्ली। कश्मीर की हसीन वादियों में एक बार फिर आतंकी गोलियों की गूंज सुनाई दी, जब पहलगाम के पास बसे बैसरन गांव में पर्यटकों के एक दल पर अचानक गोलियों की बौछार की गई। हमले में कई लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है, वहीं लगभग 20 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यद्यपि सरकार द्वारा अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन अस्पतालों में घायलों का इलाज युद्धस्तर पर जारी है।
यह हमला ऐसे समय में हुआ है, जब अमरनाथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। पहलगाम इस यात्रा का प्रमुख पड़ाव माना जाता है। ऐसे में आतंकी हमले की टाइमिंग और स्थान यह संकेत देते हैं कि इसका उद्देश्य यात्रा से पहले दहशत फैलाना और घाटी के शांत माहौल को अस्थिर करना है।
पहले भी बन चुके हैं पर्यटक आतंक का निशाना
कश्मीर में यह कोई पहली बार नहीं है जब पर्यटकों या श्रद्धालुओं को निशाना बनाया गया हो। इससे पहले भी कई बार ऐसे हमलों ने देश को झकझोर कर रख दिया है:
-
18 मई 2024: श्रीनगर में जयपुर से आए एक दंपत्ति पर आतंकी हमला।
-
9 जून 2024: रियासी में तीर्थयात्रियों की बस पर हमला, 9 की मौत, 33 घायल।
-
14 नवंबर 2005: श्रीनगर के लाल चौक पर फिदायीन हमला, 4 मौतें, 17 घायल।
-
4 जुलाई 1995: 6 विदेशी पर्यटकों का अपहरण, एक की हत्या।
-
2000: अमरनाथ यात्रा पर हमला, करीब 100 तीर्थयात्रियों की जान गई।
-
20 जुलाई 2001: अमरनाथ गुफा के निकट श्रद्धालुओं के कैंप पर हमला, 13 मरे।
आखिर पर्यटक ही क्यों बनते हैं निशाना?
-
डर और अस्थिरता का माहौल बनाना: पर्यटकों को निशाना बनाकर आतंकी घाटी को भयग्रस्त बनाना चाहते हैं, जिससे बाहरी लोग वहां न जाएं।
-
आर्थिक आधार पर चोट: पर्यटन घाटी की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इस पर हमला कर आतंकी रोज़गार और आमदनी को प्रभावित करते हैं।
-
भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल करना: ऐसे हमलों के माध्यम से भारत को असुरक्षित और अशांत देश के रूप में पेश करने की कोशिश होती है।
-
स्थानीय जनता का मनोबल तोड़ना: आतंकी नहीं चाहते कि कश्मीर के लोग भारत सरकार से जुड़ाव महसूस करें, इसलिए डर का माहौल बना कर उस रिश्ते को कमजोर करना चाहते हैं।
إرسال تعليق