जबलपुर। शहर में आज भी ब्रिटिशकालीन कुछ अंश देखने को मिल जाते हैं। जरूरत होती है आसपास के वातावरण के प्रति संवेदनशील दृष्टि होने की। पचपेढ़ी में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (University) से रिज रोड (Ridge Road) जाने वाले मार्ग पर फील्ड मार्शल मॉनेकशॉ द्वार या गेट मिलता है। इस गेट को पार करते ही बाएं ओर यह ‘पोर्टेबल’ एक प्लेटफार्म पर स्थापित है। दरअसल यह ब्रिटिशकालीन सड़क पर चलने वाला भाप इंजन है। यह अच्छी बात है कि 119 सााल से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद इसको सहेज कर रखा गया। यह विरासत इसलिए बची हुई है क्योंकि यह सैन्य क्षेत्र में है अन्यथा शहर के सिविल एरिया में होती तो न जाने कब की भाप बन उड़ गई होती या उड़ा दी गई होती!
मार्शल, संस एंड कंपनी 1848 में स्थापित एक ब्रिटिश कृषि मशीनरी निर्माता थी। कंपनी ब्रिटानिया आयरन वर्क्स, गेन्सबोरो, लिंकनशायर में स्थित थी। शुरुआती उत्पादन भाप इंजन और कृषि मशीनरी का था। बाद के उत्पादन में फील्ड मार्शल, ट्रैक मार्शल और पूर्व लेलैंड व्हील ट्रैक्टर जैसे डीजल ट्रैक्टर शामिल थे।
मार्शल एंड संस ऑफ गेन्सबोरो, लिंकनशायर यूनाइटेड किंगडम ने इस पोर्टेबल स्टीम इंजन का निर्माण किया था। यह भाप इंजन सड़क पल चलता था और इसमें ट्राली लगा कर सामान ढोया जाता था। इससे तोप भी खींचकर यहां से वहां ले जायी जाती थी। खास तौर पर कृषि कार्यों के लिए भी भाप इंजन का उपयोग होता था। 1906 में निर्मित इस इंजन को 'पोर्टेबल' कहा जाता था क्योंकि इसे ट्रैक्शन इंजन द्वारा कार्यस्थलों पर ले जाया जा सकता था। इस भाप इंजन में लोहे के चक्के थे। टायर आ जाने के बाद चक्कों पर टायर चढ़ाए गए।
जबलपुर में भी ब्रिटिश सेना और गैरिसन इंजीनियर इस ‘पोर्टेबल’ का उपयोग बहुउद्देश्यीय कार्यों के लिए किया करते थे।
बाद के वर्षों में इस मार्शल एंड संस ने ट्रेक्टर, बुलडोजर और दो सीटर हवाई जहाज का निर्माण किया।
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