मध्यप्रदेश के दमोह की मिशनरी चिकित्सालय में एक फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेन्द्र यादव पर लगभग सात मरीज की हत्याओं का आरोप लगा। इस बहाने चिकित्सालय की जांच भी हुई, जिसमें कई खामियां सामने आईं। अब तथाकथित चिकित्सक पकड़ा गया है तो यह सत्य भी सामने आ गया है। उसने नोएडा से अपनी यात्रा शुरू की वहां पकड़ा भी गया। तब उसने नकली नाम से फर्जी देशी विदेशी डिग्रियों को जुटाया तथा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से लेकर मध्यप्रदेश के जबलपुर, नरसिंहपुर और फिर दमोह में आन बान और शान से काम किया। उसके साथ गनमेन रहता था। किंतु किसी ने उस पर शक नहीं किया और वह लोगों को मौत के मुंह में सुलाता रहा। इसको पकड़वाने का श्रेय दमोह बाल कल्याण समिति के सदस्य को जाता है। जिसे एक मरीज की रिपोर्ट मांगने और ना देने पर शक हुआ। उसने जिलाध्यक्ष को सूचना दी। उन्होंने सीएमएचओ को जांच करने कहा किंतु उन्होंने जांच में हीलाहवाली की। इस बीच जब कई लोगों की जान गई तो उसने अपने परिचित बाल आयोग के पूर्व सदस्य को ख़बर दी। तब जाके सब लोग सक्रिय हुए। ज्ञात हुआ है सीएमएचओ साहिब जब नरसिंहपुर में थे, तब से इस महान चिकित्सक से परिचित थे।
बहरहाल, ये मामला जिनकी जागरुकता से सामने लाया गया वे बधाई के पात्र हैं। इस अमानुषिक घटना के बाद मध्यप्रदेश के चिकित्सा जगत में हड़कंप हैं। कई जगह ऐसे फर्जी डॉक्टर और बिना अनुमति के चिकित्सालय मिलते जा रहे हैं। इधर जबलपुर में भी एक फर्जी डॉक्टर बीएएमएस की डिग्री के सहारे जिला चिकित्सालय में कोरोना काल से नौकरी करता रहा। अब मामला खुलने सामने आने पर पुलिस गिरफ़्तारी का इंजेक्शन लेकर उसके पीछे घूम रही है। लगता तो यह सिलसिला यदि जारी रहा तो सैकड़ों जगह खामियां मिलेंगी।
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लेखक - सुसंस्कृति परिहार |
प्रशासन को इनसे निपटने निष्पक्ष कार्रवाई अपेक्षित है। साथ ही साथ सरकारी चिकित्सालयों में पर्याप्त श्रेष्ठ चिकित्सक लाकर मरीजों को सस्ता इलाज उपलब्ध कराने की व्यवस्था किए बिना इस फर्जीवाड़ा से निपटना कठिन होगा। यह भी अत्यावश्यक कि यहां के चिकित्सक फर्जी ना हों उनकी भी सूक्ष्म जांच हो तथा सरकारी अस्पताल में सभी तरह की जांच की व्यवस्था फर्जी हाथों में ना हो।जिला और ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य की ज़रुरी सुविधाओं की निगरानी कम से कम हर माह होनी चाहिए।
कतिपय लोगों का यह मानना है कि यह मिशनरी चिकित्सालय का मामला था इसलिए यह कलई खोली गई है। फिर भी यदि यहां से भले शुरुआत हुई है उसे इसी तरह निरंतर कार्रवाई करना होगी। अधिकारियों की लेट लतीफी पर भी ऐक्शन ज़रुरी है। क्योंकि आजकल हर तरफ़ बेईमानी और भ्रष्टाचार सिर उठाए खड़ा है। उसका दमन बेहद ज़रुरी है।जनता के बीच के ऐसे समाजसेवियों को भरपूर सहयोग करें तो ऐसे नकली लोगोंऔर काम पर विराम लग सकता है। देखिए ये सब सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में नहीं है कितने फर्जी मामले शिक्षा, न्याय और अन्य सरकारी सेवारत कर्मचारियों के मामले उच्च न्यायालय में निर्णयाधीन है। जो फैसले हो चुकें हैं उन पर ऐक्शन नहीं लिया जा रहा है। इसलिए सख़्त रवैया अपनाने की ज़रुरत है। जब तक ऐसे ल सभी लोग दंडित नहीं होंगे। ऐसे जालसाज हमें ठगते रहेंगे और हर मुकाम पर हमें मिलते रहेंगे। आइए, दमोह की इस घटना से संपूर्ण देशवासी सबक सीखें। जागरुक रहें।याद रखिए जो लोग ऐसी गलत नियुक्तियों का भंडाफोड़ करते हैं। उनके साथ खड़े हों तथा मिलजुल कर साथ दें। यह सवाल हम सबकी चिंताओं में शामिल होना चाहिए।
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