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कविता - पूर्णिका : जिंदगी बन जाते कोई यहाँ  जिंदगी बन जाते कोई यहाँ । थाम दामन जाते कोई यहाँ ।। प…

नई विधा पूर्णिका पर विश्वविद्यालय में होगा शोध, पाठ्यक्रम में किया जायेगा शामिल

जबलपुर। साहित्य की नई विधा पूर्णिका पर उत्सव गरिमामय माहौल में अंतरराष्ट्रीय पूर्णिका मंच, …

परसाई की याद में साल भर होंगे आयोजन, प्रगतिशील लेखक संघ का राष्ट्रीय सम्मेलन दूसरी बार जबलपुर में

जबलपुर/सुसंस्कृति परिहार। मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर के लिए यह बेहद सुखद अवसर होगा ज…

स्त्री के लिखने के लिए पहली अनिवार्यता है, लिखने की आज़ाद : चन्द्रकला त्रिपाठी

सविता कथा सम्मान – 2023 में साहित्यकारों का सम्मान  जबलपुर। सविता दानी के नाम पर स्थापित सविता कथा…

कविता : संजय सिंघई की कलम से

जख्म वक़्त की किस्सागोई करते हैं जख्म। जहां में कुछ के जख्म हैं कम, कुछ के हैं ज़्यादा। ज़ख्म रोज़ लगते…

कविताएं

अपने पंख सभी से सुनता रहा सीधा बन जीना बेहद मुश्किल पर मुझे टेढ़ा बन जीना बेहद मुश्किल लगा सबके अपन…

कविताएं

कविताएं 1.     रिश्तों की पृथ्वी का दरकना भूचाल की तरह कभी भी संभव है। 2.      बिना आवाज़ के लगी चो…

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