बाल कविता : बचपन की सीख














बचपन की सीख

बचपन होता अलबेला, फिकर नहीं किसी बेला।

पढ़ो-लिखो ऊंचा-कूदो, घर के अंदर खेलो लूडो।

सीखो बच्चो प्यारी धुन, मम्मी-पापा की बात सुन।

दादा-दादी की करना सेवा, पाओगे आशीष का मेवा।

पढ़ लिखकर बनो महान, सेवा करना सारा जहान।

- सूर्यदीप कुशवाहा

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