बाल कविता
कट्टो बिल्ली
कट्टो बिल्ली बड़ी चिबिल्ली सौ-सौ चूहे खाती,
लार टपकती रहती टप-टप फिर भी बाज़ न आती।
उस दिन दावत में मौसी ने जमकर माल उड़ाया,
लगीं उल्टियां ढेरों गया डॉक्टर को बुलवाया।
दो-दो लगे उसे इंजेक्शन कड़वी मिली दवाई,
रोनी सूरत हुई याद तब नानी उसको आई।
- घमंडीलाल अग्रवाल
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